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महाकुंभ – ग्राउंड रिपोर्ट | Mahakumbh – Ground Report
महाकुंभ – ग्राउंड रिपोर्ट | Mahakumbh – Ground Report
इस चौपाल चर्चा में महाकुंभ के अनुभवों पर बात हो रही है, जिसमें भाग लेने वाले अपनी यात्रा की तैयारी, वहां के अपने अनुभव और सोशल मीडिया पर दिखाई जाने वाली वास्तविकता के बीच के अंतर को साझा कर रहे हैं। अधिकांश लोगों ने भीड़ के बावजूद अच्छी व्यवस्था और आध्यात्मिक माहौल की प्रशंसा की। सुरक्षा और कैश प्रबंधन जैसे पहलुओं पर भी चर्चा हुई। अंत में, प्रयाग के अनुभवों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, लोगों को वहां जाने के लिए प्रोत्साहित किया गया और कुछ मामूली नकारात्मक अनुभवों का भी उल्लेख किया गया।
पेरेंट्स के एग्जाम | Parents ke Exam
बच्चों के एग्जाम्स में पेरेंट्स का तनाव? क्यों होता है इतना दबाव जबकि खुद कभी महसूस नहीं किया? कैसे यह तनाव बच्चों के प्रदर्शन को negatively प्रभावित करता है और क्यों अपेक्षाओं पर पुनर्विचार ज़रूरी है। जानें कि तनाव कम करके सकारात्मक माहौल से बच्चों की बेहतर मदद कैसे करें। पेरेंटिंग के इस पहलू से जूझ रहे हैं? देखें और परीक्षा के समय को तनावमुक्त बनाएं! Parents stressed during kids’ exams? Why so much pressure when they never felt it? How this stress negatively impacts children’s performance and why rethinking expectations is crucial. Learn how a positive environment with less stress better helps children. Struggling with this parenting aspect? Watch and make exam time stress-free!
कर्म कुंडली का मिलान | Karm Kundali
बढ़ते तलाक, वैवाहिक मतभेद, सामंजस्य की कमी… परेशानियां कई पर निदान एक
इस चर्चा में विवाह, पारिवारिक रिश्तों, और समाज में बदलाव पर गहरी बात की गई है। रिश्तों में सामंजस्य बनाए रखने के लिए संवाद, समझौता, और पारिवारिक समर्थन की आवश्यकता को प्रमुख रूप से उठाया गया है। साथ ही, समाज में शिक्षा, आर्थिक स्थिति और पारिवारिक हस्तक्षेप के बढ़ते प्रभाव पर भी विचार व्यक्त किया गया है। यह बताया गया है कि कैसे खुलकर संवाद और जिम्मेदारियों का सही तरीके से बंटवारा करने से रिश्ते मजबूत और सुखमय बनाए जा सकते हैं।
व्हाट्सएप की पाठ्शाला | Whatsapp ki pathshala
दुनिया भई बावरी व्हाट्सएप का गाना गाय
घर की चक्की कोई न पूछे, जिसका पीसा खाय
व्हाट्सएप पर जो पढि लिया, वही सही बतलाय
हित अनहित क्या होत है, आय इ चौपाल बतियाये
इस चौपाल चर्चा में व्हाट्सएप के बढ़ते उपयोग और उसके प्रभावों पर बात हो रही है। सदस्यों ने अपने दैनिक जीवन में व्हाट्सएप पर बिताए जाने वाले समय और उससे प्राप्त होने वाली जानकारियों पर विचार साझा किए। चर्चा में व्हाट्सएप पर प्रसारित होने वाली गलत सूचनाओं और उनके संभावित प्रभावों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया। इसके अतिरिक्त, सदस्यों ने अतीत के मनोरंजन और पारिवारिक मुलाकातों की तुलना वर्तमान की डिजिटल कनेक्टिविटी से करते हुए कुछ भावनात्मक बदलावों को भी महसूस किया।
आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपैया | Amdani Atthani, Kharcha Rupaiya
जीवन में दिखावा और असलियत के बीच एक द्वन्द्व चलता रहता है। आमदनी और खर्चा हम सभी के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन कई बार हम दिखावे के चक्कर में अपनी आमदनी के बारे में भूल जाते हैं और अपने बूते से ज्यादा खर्च कर देते हैं। कैसे करें हम अपनी आमदनी और खर्चों को संतुलित…
द्रौपदी चीर हरण रुकेगा कैसे ? | Crime Against Women
महिलाओं के प्रति बढ़ते व्याभिचार और हिंसा की घटनाएं हम लगातार सुन रहे हैं।
इन्हें रोकने के लिए स्वयं शक्ति क्यों असहाय हो गई है?
हम इसे कैसे रोक सकते हैं और इसका समाधान क्या हो सकता है
पहली मुलाकात | Pehli Mulakat | First Meeting
जीवन में पहले उठे हर कदम की खास अहमियत होती है. पहली कमाई, पहला प्यार, पहली संतान… ऐसे में उनसे पहली मुलाकात की मीठी सी यादें दिल को आज भी धड़का देती है. तो आइए बाटें ऐसे ही कुछ पल…..और याद करें कहा अनकहा…
यह चौपाल चर्चा लोगों के जीवन की “पहली मुलाकातों” की प्यारी यादों पर केंद्रित है, जिसमें प्रेमपूर्ण भेंट, पारिवारिक परिचय, प्रेरणादायक व्यक्तियों से महत्वपूर्ण मुलाकातें और यहां तक कि पालतू जानवरों के साथ यादगार बातचीत शामिल हैं। प्रतिभागी दिल को छू लेने वाले और हास्यप्रद किस्से साझा करते हैं, जो इन शुरुआती क्षणों के स्थायी प्रभाव को उजागर करते हैं।
श्री राम आएंगे तों | Sri Ram Aayenge to | Jan 7, 2024
कुछ तो तैयारी की होगी शबरी ने राम की प्रतीक्षा में, अंगना तो बुहारा होगा मां कैकई ने राम के आने पर…आपने क्या किया है श्री राम के आगमन के लिए …
इस चर्चा में प्रतिभागी 22 जनवरी को राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के व्यक्तिगत महत्व पर अपने विचार साझा करते हैं। वे इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बनने, सनातन धर्म के पुनरुत्थान, बच्चों में धार्मिक संस्कारों के संचार और भगवान राम को उनका उचित स्थान मिलने जैसी भावनाओं को व्यक्त करते हैं। चर्चा में बाबरी मस्जिद विध्वंस के ऐतिहासिक संदर्भ और मुगल आक्रमणकारियों द्वारा मंदिरों को तोड़ने के संभावित कारणों पर भी विचार किया जाता है, जिसमें धर्म और संस्कृति को नष्ट करने के उद्देश्य शामिल हैं। अंत में, भगवान राम के जीवन के विभिन्न पहलुओं और गुणों पर प्रकाश डाला जाता है जिनसे प्रतिभागी गहराई से प्रभावित हैं।
वोह चार लोग | Woh Char Log | Dec 10, 2023
हर किसी के जीवन में सामान्यत: कई बार एक प्रश्न आता है – “क्या कहेंगे वोह चार लोग?” इन्हीं चार लोगों के कारण क्या आपने कभी रोका है किसी काम को? कभी टोका है किसी और को?
प्रतिभागी अपने जीवन के अनुभवों को साझा करते हैं जब उन्होंने इन अदृश्य सामाजिक अपेक्षाओं के कारण अपने कार्यों को रोका या दूसरों को रोका। बचपन में तैराकी सीखने की इच्छा को दबाने से लेकर विधवाओं के सामाजिक व्यवहार पर टिप्पणी करने तक, विभिन्न उदाहरण सामने आते हैं।
चर्चा में यह सवाल उठता है कि वास्तव में ये “चार लोग” कौन हैं – क्या वे परिवार के सदस्य हैं, पड़ोसी हैं, समाज के नियम हैं, या हमारी अपनी आंतरिक झिझक और आत्मविश्वास की कमी? कुछ प्रतिभागियों का मानना है कि ये “चार लोग” काल्पनिक हैं, जिन्हें हम अपनी सुविधा के अनुसार बनाते और मिटाते हैं, अक्सर अपनी इच्छाओं को छिपाने या दूसरों पर सामाजिक मानदंडों को लागू करने के लिए।
अंततः, यह निष्कर्ष निकलता है कि “चार लोगों” का प्रभाव समय के साथ कम हो गया है, और आज व्यक्ति अपनी मर्जी के अनुसार जीने के लिए अधिक स्वतंत्र हैं। हालांकि, सामाजिक दबाव और “क्या कहेंगे लोग” की चिंता अभी भी कुछ हद तक मौजूद है, खासकर पारंपरिक समाजों में। चर्चा इस अदृश्य सामाजिक शक्ति की प्रकृति और हमारे जीवन पर इसके प्रभाव की पड़ताल करती है।
तुम बिन – जीने की तैयारी | Tum Bin Jeene ki Taiyyari
बच्चों को आत्मनिर्भर बनाया, स्वयं को स्वावलंबी बनाया लेकिन जीवन साथी को तैयार करना तो रह ही गया? क्या होगा जब यह साथ छूटेगा…. आइए इस कटु सत्य से रूबरू हो कर एक राह निकाले…
यह चौपाल चर्चा जीवन साथी के बिना भविष्य की तैयारी के संवेदनशील विषय पर केंद्रित है। रमा जी इस अटल सत्य पर जोर देती हैं कि जीवन में संयोग के साथ वियोग भी निश्चित है और हमें मानसिक, सामाजिक, पारिवारिक और वित्तीय रूप से इस अप्रिय अध्याय के लिए तैयार रहना चाहिए।
चर्चा विवाह के सात वचनों से शुरू होती है और इस विचार पर आगे बढ़ती है कि क्या हमें हर वर्षगांठ पर इन वचनों का नवीनीकरण करना चाहिए। प्रतिभागी अपने जीवन साथी के महत्व पर विचार करते हैं, उन्हें दोस्त, सलाहकार, अर्धांगिनी और प्रेरणा का स्रोत मानते हैं।
फिर ध्यान इस बात पर जाता है कि हम अपने जीवन साथी पर कितना निर्भर हैं और उनके जाने से हमारे जीवन में कैसा शून्य पैदा होगा। महिलाओं से विशेष रूप से पूछा जाता है कि क्या वे आर्थिक रूप से अपने पति पर निर्भर हैं और क्या उनके पति ने उनके वित्तीय भविष्य की सुरक्षा के लिए कोई व्यवस्था की है। पुरुषों ने अपनी वित्तीय जिम्मेदारियों को साझा किया है और महिलाओं ने अपने पति को भावनात्मक और व्यावहारिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के प्रयासों पर बात की है, जैसे उन्हें बुनियादी घरेलू काम सिखाना, सामाजिक रूप से सक्रिय होने के लिए प्रोत्साहित करना और उनके शौक को पुनर्जीवित करने में मदद करना।
कुल मिलाकर, चर्चा इस आवश्यकता पर प्रकाश डालती है कि हम दोनों भागीदारों को एक-दूसरे पर अत्यधिक निर्भरता से बचना चाहिए और अप्रत्याशित भविष्य के लिए व्यावहारिक और भावनात्मक रूप से तैयार रहना चाहिए।
मर्द का दर्द समझे न कोई | Mard Ka Dard
मर्द को भी शारीरिक, मानसिक और पारिवारिक दर्द होता है. जिसका सीधा प्रभाव उसके मन, शारीरिक स्वास्थ्य और पूरे परिवार एवं समाज पर पड़ता है. इसीलिए आज आवश्यकता है कि हम सब मिलकर इस विषय पर चर्चा करें कि इस समस्या की जड़ परिवार के अन्दर है या बाहर? आइये पुरुषों के जीवन में सकारात्मक सुधार लाने का प्रयत्न करें.
मर्द को भी दर्द होता है?
यह चौपाल चर्चा इस संवेदनशील विषय पर केंद्रित है कि क्या पुरुषों को भी दर्द होता है और यदि होता है तो वे इसे व्यक्त क्यों नहीं करते।
मुख्य बातें:
- मर्द भी दर्द महसूस करते हैं: प्रतिभागियों ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि पुरुषों को भी भावनात्मक और मानसिक तकलीफ होती है, भले ही वे इसे महिलाओं की तरह खुलकर व्यक्त न करें।
- अभिव्यक्ति में झिझक: पुरुषों को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में झिझक महसूस होती है, जिसके कई कारण बताए गए: बचपन से मिली परवरिश, सामाजिक दबाव, पुरुषत्व की रूढ़िवादिता, और अपनी कमजोरियों को दूसरों के सामने उजागर करने का डर।
- जिम्मेदारी का बोझ: पुरुषों पर परिवार और समाज की अपेक्षाओं का भारी बोझ होता है, जिसके कारण वे अपनी तकलीफों को दबा लेते हैं और मजबूत बने रहने का प्रयास करते हैं।
- विश्वास का अभाव: कुछ पुरुषों को ऐसे लोगों की कमी महसूस होती है जिन पर वे भरोसा कर सकें और अपनी परेशानियाँ साझा कर सकें।
- कानूनी और सामाजिक बदलाव: कुछ प्रतिभागियों ने बदलते सामाजिक समीकरणों और कानूनों का भी उल्लेख किया जो कभी-कभी पुरुषों के लिए अपनी बात रखना मुश्किल बना देते हैं।
- महिलाओं की भूमिका: चर्चा में यह सवाल भी उठा कि क्या महिलाएं अनजाने में पुरुषों को अपनी भावनाएं व्यक्त करने से रोकती हैं, जैसे कि उन्हें “मर्द बनो” कहकर या उनकी भावनाओं को कम आंककर।
- संचार की आवश्यकता: कई महिलाओं ने इच्छा व्यक्त की कि उनके पति उनसे खुलकर बात करें, लेकिन यह भी सवाल उठा कि क्या वे वास्तव में इसके लिए तैयार हैं और क्या वे चाहेंगे कि उनके पति अपनी बातें किसी और से भी साझा करें।
- शादी के बाद बदलाव: शादी के बाद पुरुषों के व्यवहार में आने वाले बदलाव पर भी चर्चा हुई, जिसमें जिम्मेदारी का बढ़ना और नए पारिवारिक सदस्यों के साथ तालमेल बिठाने की चिंता जैसे कारण बताए गए।
निष्कर्ष:
चर्चा इस बात पर जोर देती है कि पुरुषों को भी दर्द होता है, लेकिन सामाजिक और व्यक्तिगत कारणों से वे अक्सर इसे व्यक्त नहीं कर पाते। यह एक जटिल मुद्दा है जिसमें परवरिश, सामाजिक अपेक्षाएं और व्यक्तिगत स्वभाव सभी भूमिका निभाते हैं। प्रतिभागियों ने इस विषय पर खुलकर विचार किया और पुरुषों के भावनात्मक कल्याण पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया।
जीवन संध्या | JEEVAN SANDHYA | SUFFER या सफ़र
जीवन जीते जीते पता ही नहीं लगता क्या छूट गया, क्या पाया और क्या मिलने वाला है. इसी उलझन में यह पड़ाव कभी एक सुंदर यात्रा बन जाता है और कभी पीड़ा. कैसे बदलें इस पीड़ाको एक रोमांचक अनुभव में..
यह चौपाल चर्चा जीवन के संध्याकाल (वानप्रस्थ अवस्था) में अनुभव की जा रही भावनाओं पर केंद्रित है। प्रतिभागियों से पूछा जाता है कि क्या यह समय पीड़ादायक है या उन्होंने इस यात्रा को भरपूर जिया है।
शुरुआत में, अधिकांश प्रतिभागियों ने स्वीकार किया कि उन्होंने अपने जीवन के इस चरण के लिए कोई विशेष योजना नहीं बनाई थी। कुछ ने अपनी युवावस्था की रुचियों को आगे बढ़ाने की इच्छा व्यक्त की थी, जबकि अन्य ने अप्रत्याशित परिस्थितियों के अनुकूल होने की बात कही।
चर्चा इस ओर मुड़ती है कि क्या प्रतिभागी अपने आसपास के लोगों को कुछ ऐसा करते हुए देखते हैं जो वे भी करना चाहते थे लेकिन किसी कारणवश नहीं कर पाए। कुछ ने अपनी दबी हुई रचनात्मक इच्छाओं, करियर आकांक्षाओं या सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने की इच्छाओं को साझा किया।
अगला प्रश्न उन बाधाओं पर केंद्रित है जो प्रतिभागियों को अपनी वर्तमान इच्छाओं को पूरा करने से रोक रही हैं। उम्र, आत्मविश्वास की कमी, पारिवारिक जिम्मेदारियां, सामाजिक स्वीकृति की चिंता और असफलता का डर जैसी बातें सामने आती हैं।
अंत में, प्रतिभागियों से पूछा जाता है कि वे अपने जीवन के इस पड़ाव को एक सुंदर सफर मानते हैं या पीड़ा। कुछ ने उतार-चढ़ाव के साथ संतोष व्यक्त किया, जबकि अन्य ने अपनी अधूरी इच्छाओं, पारिवारिक दूरियों या समाज में अपनी भूमिका को लेकर पीड़ा व्यक्त की। चर्चा इस बात पर जोर देती है कि व्यक्तिगत अनुभवों में काफ़ी भिन्नता है और इस चरण को देखने का कोई एक तरीका नहीं है।
इसे आप क्यों देखें?
- जीवन के संध्याकाल पर गहरी बातें: यह दिखाता है कि उम्र बढ़ने पर लोग कैसा महसूस करते हैं।
- खुले और सच्चे अनुभव: लोग अपनी खुशियाँ और अफ़सोस ईमानदारी से बताते हैं।
- अधूरे सपने और इच्छाएँ: उन सपनों पर बात होती है जो पूरे नहीं हो पाए।
- रुकावटों की पहचान: क्या चीज़ें हैं जो लोगों को अपनी इच्छाएँ पूरी करने से रोकती हैं।
- अलग-अलग नज़रिया और भावनाएँ: कई तरह के विचार और भावनाएँ सुनने को मिलेंगी।
- खुद पर सोचने और भविष्य की योजना बनाने का मौका: यह आपको अपने बारे में सोचने पर मजबूर कर सकता है।
- समाज की सोच को चुनौती: उम्र को लेकर बनी पुरानी बातों पर सवाल उठता है।
- दूसरों से जुड़ाव महसूस होगा: समान अनुभवों को सुनकर आप अकेला महसूस नहीं करेंगे।
- छिपी हुई प्रेरणा: यह आपको अपनी इच्छाएँ पूरी करने के लिए हिम्मत दे सकता है।
- सोचने पर मजबूर करने वाले सवाल: होस्ट गहराई से सोचने वाले सवाल पूछते हैं।
Re marriage of elderly | पुर्नविवाह
वृद्धावस्था में जीवन साथी की आवश्यकता सबसे ज्यादा होती है। शारीरिक, मानसिक एवम सामाजिक सभी स्तर पर जीवनसाथी एक संरक्षक होता है। फिर जीवन के इस नाजुक दौर में एक बार फिर किसी का हाथ थामने से हिचक क्यूं?हम तुम और वो | Hum Tum aur woh
Men women equality: new requirements | Discussion | FOE | 26-03-2023 स्त्री पुरुष के रूप में एक दूसरे के दायित्वों की बात हम सब करते हैं, क्यों ना चौपाल चर्चा में बात करें अपने दायित्वों और दूसरे के सहयोग की .. हम तुम और वो🕵️♀️👰♀️ स्त्री-पुरुष समानता: नया समय, नयी जरूरते, नयी सोचधर्मो रक्षति रक्षितः | Dharmo Rakshati Rakshitah
यह चर्चा सनातन धर्म के प्रति हमारे कर्तव्यों, संस्कृति, संस्कारों और जीवन जीने की कला पर केंद्रित है। प्रतिभागी धर्म की परिभाषा, संस्कृति और संस्कारों का अर्थ, और आधुनिक समय में इनके पतन के कारणों पर विचार करते हैं। वे धार्मिक कट्टरता की कमी, आधुनिक जीवनशैली, पारिवारिक संरचना में बदलाव और शिक्षा प्रणाली के प्रभाव जैसे कारकों पर चर्चा करते हैं। अंततः, युवा पीढ़ी को धर्म और संस्कृति से जोड़ने के तरीकों और दिखावे से बचने के महत्व पर विचार साझा किए जाते हैं।
किस्सा कुर्सी का | सामाजिक संगठनों से जुड़ाव – समाज सेवा या स्टेटस सिंबल
क्या आप भी सामाजिक संगठनों से जुड़े हैं या जुड़ना चाहते हैं? यह वीडियो आपके लिए है! फ्रेंड्स ऑफ एल्डरली द्वारा आयोजित इस चौपाल चर्चा में, विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से जुड़े अनुभवी सदस्य अपने अनुभव और विचार साझा कर रहे हैं। वे बताते हैं कि लोग किन उद्देश्यों से संगठनों में शामिल होते हैं, क्या उनके लक्ष्य पूरे हो पाते हैं, और पदाधिकारियों से उनकी क्या अपेक्षाएं रहती हैं। इस चर्चा में नाम और पहचान की भूख, अनुशासन की कमी, प्रभावी नेतृत्व, और कार्यक्रमों के आयोजन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर खुलकर बात की गई है। आपको यह भी जानने को मिलेगा कि अध्यक्ष और शीर्ष टीम सदस्यों से क्या उम्मीद करते हैं, और सदस्यों को संगठन के प्रति कैसा व्यवहार रखना चाहिए। कार्यक्रमों में प्रेरणा, सस्ती लोकप्रियता से बचाव, और समय की पाबंदी जैसे विषयों पर भी विचार व्यक्त किए गए हैं। यदि आप सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं या किसी संगठन का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो यह वीडियो आपको महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा। ज़रूर देखें!तारीखों पर देशभक्ति | Patriotism only on certain dates
क्या हमारी देशभक्ति विशष्ट तारीखों तक ही सीमित है?
यह कमरे रोजमर्रा का हिस्सा क्यों नहीं है?
फैंसी इंडियन वेडिंगस | रीति रिवाज़: औचित्य | मनोरंजन | दिखावा |
आपके द्वारा .. आपके लिए .. एक विशेष चर्चा..
बदलेंगे हम तो बदलेगा समाज | Fancy Indian Weddings | Reeti Riwaz | Debate | Discussion |
FOE | Friends of Elderly | 13-11-2022
बिग फैट इंडियन वेडिंगस दिखावा या आवश्यकता Big Fat Indian Weddings | 02-10-2022
विवाह समारोह पर होने वाले खर्च और उससे होने वाले प्रभाव पर चर्चा. मुख्य रूप से आज एकाकी परिवारों के कारण बाहरी सहायता की आवश्यकता, बॉलीवुड फिल्मों का विवाह पर असर, एक दूसरे से आगे बढ़ने की होड़, सामाजिक मजबूरियां और व्यक्तिगत तालमेल बिठाने के चक्कर में अतिथियों की लंबी लिस्ट. अपनी शादी का पूरा आनंद नहीं ले पाते हैं . जमा पूंजी का अधिकांश भाग एक-दो दिन में विवाह में खर्च कर दिया जाता है. एक जैसे परिधान एवम ड्रेस कोड के चक्कर में आने वाले अतिथियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है. अतिथियों को भी हर बार शहर के बाहर दूर स्थानों पर जाना दिन प्रतिदिन मुश्किल हो रहा है. ना विवाह में आने वाला खुश होता है और ना बुलाने वाला.
Papa Ki Pari | पापा की परी | Dad’s Princess | Girl Empowerment | Good or Bad | Friends of Elderly | FOE | 11-09-2022 |
महिला सशक्तिकरण एवं स्त्री शिक्षा पर प्रश्न उठने लगे हैं, परिवार बहु के नौकरी करने से खुश कम और डरने ज्यादा लगे हैं। बेटी और बेटे में एक बार फिर फर्क सामने आने लगा है। विरोध का यह स्वर कहीं समाज की पुरानी सोच का परिणाम है या फिर नई पीढ़ी ही अपने कर्तव्यों से दूर हो गई है।
हमारे प्रश्न और आपके विचार निश्चित ही समाज को सही दिशा देने में योगदान अवश्य देंगे।
बात करेगा परिवार, तभी तो साथ रहेगा परिवार.
Yeh Tera Ghar Yeh Mera Ghar | यह तेरा घर यह मेरा घर | Friends of Elderly | FOE | 10-07-2022 |
आइए कुछ बातें करते हैं, परिवार के सदस्यों के आपसी सामंजस्य की. जेनरेशन गैप, वर्किंग स्त्री, युवाओं की सोच… कितने ही विषय हैं जिन पर अब बात होनी ही चाहिए… | बात करेगा परिवार, तभी तो साथ रहेगा परिवार
Ki vs Ka | 12-06-2022 |
स्त्री पुरुष के रूप में एक दूसरे के दायित्वों की बात हम सब करते हैं, क्यों ना चौपाल चर्चा में बात करें अपने दायित्वों और दूसरे के सहयोग की ..
Ki vs Ka
इस चौपाल चर्चा में स्त्री और पुरुष की समाज, परिवार और व्यक्तिगत जीवन में जिम्मेदारियों पर बात हो रही है। सदस्यों ने अपने-अपने अनुभवों और विचारों को साझा करते हुए बताया कि समय के साथ इन जिम्मेदारियों में बदलाव आया है और अब यह जेंडर-स्पेसिफिक नहीं रह गई हैं। चर्चा में यह भी सामने आया कि आपसी समझ और व्यक्तिगत निर्णयों से ही घर और बाहर के कामों का विभाजन होना चाहिए, लेकिन कई बार अपेक्षाओं और पुरानी सोच के कारण समस्याएं आती हैं।